किसान संवाद
- समेकित खेती : समय की माँग
- कुक्कुट आहार में डी.डी.जी.एस. का महत्व
- बकरी के दूध के फ़ायदे
- स्वच्छ दुग्ध उत्पादन – पशु स्वास्थ्य प्रबन्धन – स्वच्छ एवँ स्वस्थ भारत
- सूकर पालन — एक संभावित व्यसाय
- व्यसायिक सूकर पालन : आय का साधन
- चूजों का वैज्ञानिक पालन – पोषण; मुर्गीपालन का मुख्य आधार
- पशुचिकित्सा विज्ञान में है शानदार भविष्य
- आर्थिक समृद्धि का साधन : मुर्गीपालन
- दुधारू पशुओं में अधिक दुध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के उपाय
- पशुओं में बाह्य एवं अन्त: परजीवी : हानि एवं बचाव
- Breeding System
- बकरी पालन – भूमिहीन/सीमान्त किसानों की आय का उत्तम स्रोत
- पशुओ में प्रमुख संक्रामक बीमारिया
- बकरिओं का आहार प्रबंधन
- हरे चारे का संरक्षण और भंडारण
- पशु शव परीक्षण का महत्व
- पशुओं के आहार में खनिज लवण का महत्व
- गायों एवं भैसों लिये संतुलित आहार
- वैज्ञानिक विधि से मुर्गी पालन कर अधिक आय प्राप्त करें :डॉ देवेंद्र स्वरूप
- पशुपालकों के लिए वरदान है नेपियर घास-डॉ देवेंद्र स्वरूप
- Silage Production : An Overview
- Milk and Dairy Products in Human Nutrition
- Nutritive Value of Commonly Available Feeds and Fodders in India
- पशु प्रजनन: समस्याएँ एवं निवारण से सम्बंधित प्रोफेसर गोविन्द नारायण पुरोहित द्वारा व्याख्यान
- पी.पी.आर. (बकरी प्लेग)
- गर्भपात – लक्षण एवं बचाव
- गाय-भैंस की बच्चेदानी / गर्भाशय संबन्धी बीमारियाँ
- गायों एवं भैसों में गर्मी (Estrus) के लक्षण एवं कृत्रिम गर्भाधन
- पशुओं में सर्रा रोग एवं इसके रोकथाम
- पशुओं में लाल पेशाब रोग (बबेसियोसिस) एवं इसके रोकथाम
- बकरियों का प्लेग रोग ( पी0 पी0 आर0)
- पशुओं में स्थूल खनिजों की कमी के रोग
- पशुओं में डेगनाला रोग
- पशुओं में गर्भपात एवं रोकथाम के विभिन्न तरीके
- नवजात पशुओं में दस्त का प्रबंधन
- पशु प्रजनन समस्याएँ एवं निवारण
- दुधारू पशुओं में गर्मी हीट के लक्षण
- दुधारू पशुओं में कृत्रिम वीर्यदान क्यों और कब
- दुधारू पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की विधि
- पालतू पशुओं में गर्भ निदान क्यों, कब और कैसे
- दुधारू पशुओं में फोराव रिपीट ब्रीडिंग
- ग्याभिन पशुओं की देख भाल एवं सावधानियां
- दुधारू पशुओं में गर्भपात की समस्या कारण, सावधानियां एवं निवारण
- पशुओं के ब्याने के समय और उसके तुरंत बाद की सावधानियां
- ग्याभिन पशुओं में बच्चे दानी के घूमने की समस्या, कारण एवं निराकरण
- दुधारू पशुओं की ब्याने के पश्चात देख भाल
- ब्याये हुए पशुओं में जेर के अटकने की समस्या
- पशुओं में पिछवाई देना या योनि प्रोलैप्स
- पशुओं में गर्भाशय का प्रोलैप्स
- एजोला-पशुओ के लिए एक वैकल्पिक प्रोटीन स्रोत
- एवियन इन्फ्लुएंजा एवं इसके बचाव
- पशुओं में अफरा रोग-पहचान
- पशुओं में सींग रोधन एवं उसके लाभ
- स्वचछ दूध उत्पादन जरुरतऔर निदान
- खुरपका-मुंहपका रोग एवं नियंत्रण
- गांठदार त्वचा रोग एक उभरता हुआ विषाणु रोग
- पशुधन बीमा योजना पशुपालन में जोखिम प्रबंधन का कारगर उपाय
- दुग्ध उघमिता विकास
- समय, धन, और ऊर्जा की बचत हेतु धन की सीधी बुवाई
- पारदर्शी किसान सेवा योजना
- धान में समेकित पोषक तत्व प्रबन्धन
- रबी तेलहनी फसलों में पोषक तत्व प्रबन्धन
- जैविक खेती – सहायक पुस्तिका
- पौधों में सूक्ष्मपोषक तत्वों की कमी के लक्षण एवं सुधार के उपाय
- गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने की तकनीक
- सब्जी की संरक्षित खेती
- रबी तेलह्नी फसलों में पोषक तत्त्व प्रबन्धन
- धान की सीधी बुवाई
- प्याज में खरपतवार नियंत्रण
- ग्रामीण कृषि मौसम सेवा भारतीय कृषि सेवा का नया आयाम
- कृत्रिम गर्भधान पशुओ में नस्ल सुधार
- Agronomy of Pulse Crops
- Introductory Weed Management
- Urban Farming: Good Practices and Knowledge Management